माँ डायबिटीज की मरीज है
बेटे से कहा, दवा ला दे
बेटे ने कहा, परहेज रख
अपने आप ठीक हो जाएगी.
इसके बाद बेटा निकल गया
माँ वेश्नो देवी की यात्रा पर
वहां से लौटा तो जागरण कराया
सारी रात माताओं के गीत गाए
ख़ुद भी जागा, पडौसी भी जगाए
सुबह ख़बर मिली,
माँ नहीं रही
थोड़ी देर आंसू बहाए
आस पडौसियों ने कहा,
ईश्वर को यही मंजूर था
बेटे ने सेवा में
कसर नहीं छोडी
माँ ही बद परहेज थी
उसके बाद जुटे लोग
ले गए शमशान
कर दी अंत्येष्टि
बेटे ने सर मुंडवाया
ब्रह्मिन जिमाए
इस तरह माँ के प्रति
पूरे फ़र्ज़ निभाए.
ओमकार चौधरी
omkarchaudhary@gmail.com
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9 comments:
अद्भुत कविता। अंतरमन से निकली और और अंतरतम को झकझोरती।
आपको सौ-सौ सलाम।
उसके बाद जुटे लोग
ले गए शमशान
कर दी अंत्येष्टि
बेटे ने सर मुंडवाया
ब्रह्मिन जिमाए
इस तरह माँ के प्रति
पूरे फ़र्ज़ निभाए.
बहुत ही सुंदर रचना है .......साथ ही आज के बेटों को आइना भी दिखा दिया
कितने ही बेटे यही कर रहे हैं. बढ़िया रचना.
अच्छी रचना। भाई साहब मां-बाप का ऐसा हाल करने वाले बेटों का हाल इससे भी बदतर होता है। बावजूद इसके लोग मां-बाप की उपेक्षा करते हैं।
achhi kavita hai. samaj ka kadva sach hai ye.
शानदार बोलना इस कविता के लिए ठीक नहीं है। यह कविता बस पढ़ने के बाद स्तब्ध कर देती है। शब्दों से परे यह सिर्फ भावनाओं की कविता है।
Bahut badi bat chhupi hai is kavita men....shabdon men dhar hai.
the great middle class real story.words might be yrs but YAHI HAI SACCHAI BHAI.
ma ke parti itni shrada ke bavjude Indian society me me ka yahi haal hai. bahut achhi kavita hai Omkar ji.
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