तुम अगर साथ देने का वादा करो, मै यूँ ही मस्त नगमे सुनाता रहूँ.
तू हुस्न है मै इश्क हूँ, तू मुझमे है मै तुझ में हूँ
आधा है चंद्रमा रात आधी, रह न जाए तेरी मेरी बात आधी
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ, वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ.
किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है....
मेरा प्यार वो है के मरकर भी तुमको जुदा अपनी बाँहों से होने न देगा...
प्यार के इन मधुर गीतों को स्वर देने वाले महेंद्र कपूर नहीं रहे, यह ख़बर सुनकर दिल धक् सा रह गया. किशोर कुमार, मुकेश और मुहम्मद रफी की कड़ी के एक और पार्श्व गायक चले गए. इन सभी की अपनी एक खास पहचान थी. मुकेश दर्द भरे गीतों के जाने गए तो रफी ने हर तरह के गीत गाए. किशोर का अपना ही अंदाज़ था। उछल कूद से लेकर उन्होंने तेरी दुनिया से होके मजबूर चला, मै बहुत दूर..बहुत दूर..बहुत दूर चला..जैसे बेहद संजीदा गीत भी गाए. महेंद्र कपूर ने देश भक्ति गीतों से अपनी खास पहचान बनाई. हालाँकि उन्हें इसकी शिकायत भी रही कि उनके गाए प्यार के मस्त नगमों को नजर अंदाज कर दिया जाता है और लोग देश भक्ति के उनके गाने याद करते हैं. खासकर मनोज कुमार ने अपनी फिल्मों में उनसे देश भक्ति के गीत गवाए. मेरे देश की धरती सोना उगले..उगले हीरे मोती..है प्रीत जहाँ की रीत कि सदा..मै गीत वहां के गता हूँ, भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ और दुल्हन चली..हो रे पहन चली..तीन रंग की चोली..जैसे गीत अमर हो गाए. फ़िल्म पूरब और पश्छिम में उनकी गयी आरती ओइम जय जगदीश हरे..तो इस कदर लोकप्रिय हुई कि आज भी एक बड़े वर्ग में घर घर गाई जाती है. कोई धार्मिक अनुष्ठान हो और उसी धुन में आरती न गयी जाए, ऐसा सम्भव नहीं
एक गीत की रिकार्डिंग के मौके पर रफी, मुकेश और आशा भोंसले के साथ महेंद्र कपूर
1934 में देश के प्रमुख सांस्कृतिक शहर अमृतसर में जन्मे महेंद्र कपूर को मायानगरी में अपना स्थान बनने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। एक प्रतियोगिता के जरिये वे चुने गए. हुस्न चला है इश्क से मिलने॥उनका पहला गीत था, जिसने उन्हें चर्चा में ला दिया. बहुत कम लोग जानते हैं कि शुरू में मुहम्मद रफी ने उन्हें काम दिलाने में बहुत मदद की थी. बाद में जब किशोर कुमार ने फ़िल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तो एक दौर ऐसा भी आया कि जब निर्माता निर्देशकों ने केवल किशोर से गाने गवाना शुरू कर दिया. रफी और महेंद्र कपूर लगभग खाली होकर बैठ गए. उस दौर के बारे में ख़ुद महेंद्र कपूर ने एक रेडियो इंटरव्यू में एक बार खुलासा किया था. वे 74 के थे. बीमारी ने उन्हें आ घेरा था. हम सबके लिए यह दुखद ख़बर है, जो उनके गीत गुनगुनाते हुए बड़े हुए हैं. दुखद यह भी है कि निकाह के बाद उन्हें फिल्मों में काम मिलना लगभग बंद हो हो गया था. वे धार्मिक कार्यकर्मों में गाते हुए नजर आने लगे थे. किशोर, रफी और मुकेश के दौर के एक और बेहतरीन गायक हमसे रुखसत हो गए. जब भी उनका ये गीत सुनेंगे..तब उनकी बहुत कमी खलेगी.. तुम अगर साथ देने का वादा करो..में यूँ ही मस्त नगमे सुनाता रहूँ
ओमकार चौधरी