Thursday, February 5, 2009

पांच करोड़ नौकरियों पर संकट


संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संगठन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का कहना है कि वैश्विक आर्थिक मंदी की वजह से इस वर्ष पाँच करोड़ से अधिक लोगों को नौकरी गँवानी पड़ सकती है। संगठन की मानें तो इस कारण दुनिया भर में बेरोज़गारी का आंकड़ा सात प्रतिशत तक पहुँच जाएगा जबकि इस समय यह छह प्रतिशत के करीब है। आईएलओ का कहना है नौकरियों में होने वाली कटौतियों का सबसे बुरा असर विकासशील देशों, खासकर चीन और भारत पर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) का कहना है कि दुनिया भर में आर्थिक विकास की दर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। आईएमएफ़ का कहना है कि भारत और चीन जैसे देश दुनिया भर से मिलने वाले आर्डरों की कमी की वजह से बुरी हालत में जा पहुँचेंगे।
इस वैश्विक मंदी का असर केवल विकासशील देशों पर ही नहीं पड़ रहा है। अमेरिका की हालत सबसे ज्यादा खस्ता दिखाई दे रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को सत्ता की बागडोर संभालते ही कुछ कटु अनुभवों से दो-चार होना पड़ा है। इस तथ्य ने उन्हें भीतर तक परेशान किया है कि प्रमुख बैंकों के बड़े अधिकारियों ने महामंदी और घाटे के बावजूद बोनस के नाम पर अरबों डालर की रकम हासिल करने में जरा भी संकोच नहीं किया। ओबामा ने इसे शर्मनाक बताया कि पिछले साल आला बैंक अधिकारियों ने भारी बोनस लिए। बकौल ओबामा, अधिकारियों को नाकामी के लिए ईनाम नहीं दिया जाना चाहिए।
ओबामा ने घोषणा की है कि जिन कंपनियों को सरकारी वित्तीय पैकेज से मदद चाहिए, उनको अपने अधिकारियों के वेतन की सीमा पाँच लाख डा¬लर निर्धारित करनी होगी। इस कटु टिप्पणी के साथ ओबामा ने अमेरिकी संसद से वित्तीय संस्थानों को उबारने के लिए लगभग 800 करोड़ के पैकेज को पारित करने की अपील भी की। ओबामा को वित्तीय संकट की गंभीरता का अहसास हो चुका है। उन्होंने हाल में कहा है कि कुछ और बैंक दीवालिया हो सकते हैं। ओबामा के सामने बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। 2008 की शुरुआत से ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है और अगले एक साल तक इससे निजात मिलने की उम्मीद नहीं है। वहां बेरोज़गारी की दर लगातार बढ़ रही है।
ओमकार चौधरी
omkarchaudhary@gmail.com

3 comments:

Anonymous said...

भारत में मंदी का असर अभी कुछ सेक्‍टरों में देखा जा रहा है। नौ‍करियां भी जा रहीं हैं और निकाले जाने का बहाना भी है इस समय कॉरपोरेट के पास।

MANVINDER BHIMBER said...

कई दिन बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ ....
जानकारों का कहना है की ये स्तिथि अभी कुछ और समय तक बनी रहेगी लेकिन उनका क्या जो इस मंदी के शिकार हो कर भूखे मर रहे है ...सच ये जियादती इनके परिवार के साथ हुई है ....अच्छी पोस्ट के लिए बधाई

Akanksha Yadav said...

इस वैश्विक मंदी का असर केवल विकासशील देशों पर ही नहीं पड़ रहा है। अमेरिका की हालत सबसे ज्यादा खस्ता दिखाई दे रही है....Akhir USA ne sabse jyada mauj bhi to kiya, fir dar kahe ka.
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