Tuesday, May 19, 2009

दूसरी पारी की तैयारी


सतहत्तर वर्षीय डा. मनमोहन सिंह बतौर प्रधानमंत्री दूसरी पारी के लिये तैयार हैं। 19 मई को संसद के केन्द्रीय कक्ष में उन्हें कांग्रेस के नवनिर्वाचित संसदीय दल का नेता चुन लिया गया। पंद्रहवीं लोकसभा के चुनाव में यूपीए को 263 सीटें मिली हैं, जो बहुमत से 9 कम हैं। अब तक तीन एेसे दल यूपीए सरकार को समर्थन की घोषणा कर चुके हैं, जो इस चुनाव में उसके साथ मिलकर नहीं लड़े थे। ये हैं 23 सांसदों वाली समाजवादी पार्टी, 20 सांसदों वाली बहुजन समाज पार्टी और तीन सांसदों वाली जनता दल एस। इस तरह देखें तो मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठित होने जा रही यूपीए सरकार को बहुमत साबित करने में कोई दिक्कत नहीं आयेगी। वैसे भी कांग्रेस नेतृत्व कुछ छोटे दलों से बात कर रहा है ताकि उसे एेसे दलों की बैसाखियों का सहारा न लेना पड़े, जो पहले भी उसके लिये मुसीबतें खड़ी करते रहे हैं। सोनिया और मनमोहन सिंह यह कैसे भूल सकते हैं कि एटमी करार के मुद्दे पर वाम मोर्चा द्वारा समर्थन वापस ले लेने पर बसपा नेता मायावती ने यूपीए सरकार को धराशायी करने के लिये किस तरह की जोड़-तोड़ की थी। इसी तरह मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह ने अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए एेसे हालात पैदा कर दिये कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच सीटों का तालमेल सिरे ही नहीं चढ़ पाया। माया और मुलायम सहित किसी को भी इसकी भनक नहीं थी कि इस बार यूपी में कांग्रेस को इतनी सीटें मिल सकती हैं। ये दोनों दल अगर समर्थन का एेलान कर रहे हैं तो इसे इनकी राजनीतिक मजबूरी समझा जा सकता है। दोनों के ही खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई जांच चल रही है। इसके अलावा वे खासतौर से अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं में यह संदेश देना चाहते हैं कि एेसा वे साम्प्रदायिक ताकतों को कमजोर करने और धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को मजबूत करने के लिये कर रहे हैं। बहरहाल, मनमोहन सिंह एेसे पहले नेता बनने जा रहे हैं, जो गांधी-नेहरू परिवार से बाहर के होने के बावजूद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। वह भी इस परिवार की पहली पसंद बनकर। 2004 में सोनिया गांधी को यूपीए संसदीय दल का नेता चुन लिया गया था। उन्होंने अपने सिर का ताज मनमोहन सिंह को सौंप दिया। तब कहा गया कि चूकि राहुल गांधी अभी नौसिखिये हैं, इसलिये मनमोहन सिंह को तब तक के लिये यह पद सौंप दिया गया है, जब तक राहुल गांधी इस लायक नहीं हो जाते। सोनिया चाहती तो इस बार राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला कर सकती थी लेकिन उन्होंने एेसा नहीं किया। खुद राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री बनने को उतावले नजर नहीं आ रहे। यही यह बात है, जिसे भारतीय मतदाताओं को प्रभावित किया है। 2004 में मनमोहन सिंह ने 22 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। अगले कुछ दिनों में वे फिर से देश की बागडोर संभाल लेंगे। लोगों की नजरें उनकी केबिनेट पर लगी हैं। यह लगभग साफ हो गया है कि वे इस बार लालू-पासवान सहित किसी भी दागी को मंत्री नहीं बनायेंगे। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह राहुल गांधी की पसंद के कुछ युवा चेहरों के साथ एक आदर्श मंत्री परिषद का गठन करने जा रहे हैं।

मनमोहन सिंह : एक नजर में -
26 सितंबर 1932, पंजाब का गाह गांव और कोहली सिख परिवार में जन्म(इस समय पाकिस्तान के चकवाल जिले का हिस्सा)। देश विभाजन पर अमृतसर पलायन।
-1958 में गुरुशरण कौर से शादी। तीन बेटियां।
-अर्थशास्त्र की पढ़ाई के लिए पंजाब विवि में स्टडी। कैंब्रिज विवि से एम ए। ऑक्सफोर्ड विवि से 1962 में डी फिल। 64 में पहली किताब लिखी।
-1966 से 67 तक अंकटाड सचिवालय में कार्यरत। 70 में दिल्ली विवि में पढ़ाया। 71 में वाणिज्य मंत्रालय में सलाहकार। 72 में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार।
वित्त मंत्रालय के सचिव, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विवि अनुदान आयोग के अध्यक्ष रहे। 82 से 85 तक रिजर्व बैंक गवर्नर। 85-87 योजना आयोग के उपाध्यक्ष।
-91-96 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री। आर्थिक संकट का दौर। अर्थव्यवस्था का निर्णायक मोड़। सुधार के तहत पूंजीवादी व्यवस्था का समावेश। लाइसेंस राज खत्म। विदेशी पूंजी निवेश की सारी बाधाएं खत्म। पब्लिक सेक्टर को निजी क्षेत्र के लिए ओपन। आर्थिक विकास दर 3 से 9 फीसदी तक पहुंची।
-95 में राज्यसभा में। 96 में सरकार की हार। फिर 2001 और 07 में उच्च सदन में। -98-04 राज्यसभा में विपक्षी नेता। 99 में लोकसभा चुनाव दक्षिणी दिल्ली से लड़े-हारे।
-2004 में यूपीए की सरकार। सोनिया ने सरल स्वभाव और विद्वान होने की वजह से प्रधानमंत्री चुना। आर्थिक सुधार के पुराने रास्ते पर। पाक से दोस्ती की पहल।
कश्मीर में आतकंवाद में कमी। 06 में चीन से दोस्ती। चार दशक बाद नैथुला दर्रा खुला। चीन से सबसे ज्यादा व्यापारिक रिश्ते। करजई से दोस्ती। विशेष मदद।
-जापान,ईरान, फ्रांस, जर्मनी, से रिश्ते बेहतर। रूस के धुर विरोधी इस्राइल से भी दोस्ती। 07 में चिदंबरम संग सबसे अधिक 9 फीसदी की आर्थिक विकास दर।
-बैंकिंग और वित्त सेक्चटर में सुधार। अमरीका से परमाणु करार पर अविश्वास प्रस्ताव। वाम ने नाता तोड़ा। सपा का साथ। सरकार बची। मंदी की मार। नवंबर में मुंबई पर हमला। पाटिल की विदाई। चिदंबरम होम मिनिस्टर। पाक से रिश्ते खराब।
10 जनपथ के साए में। सबसे कमजोर प्रधानमंत्री का आरोप। असम के वोटर नहीं पर राज्यसभा में। 90 और अब 09 में बाईपास सर्जरी।
-1987 में पद्म विभूषण,दर्जनों विशिष्ट पुरस्कार और सम्मान। कई मानद उपाधियां।

2 comments:

dharmendra said...

manmohan singh ko bdhai. aise bhi ish sarkar ka swagat sensex ne kar diya hai, kyonki yeh sarkar inhi juebazo aur lalchi baniyo ne bnayi hai. lekin dekhna yeh hoga ki yeh sensex ki uchal un croro sukhe hotho tak pahuchti hai ki nahi jinke yhan kai raat muh me chandi ki chmach lekar paida hue rahul gandhi ne bitayi hai.

निर्मला कपिला said...

shaayad ye kisi nayee subha ka aagaaz ho jai ho lagta hai rahul ko nehru indira ki tarah kuchh kaam karne ka irada hai achha hai soch samajh kar tazurba hasil kar kuchh bane vo ek lambi pari khelna chahte hain