Monday, February 1, 2010

एक और शानदार उपलब्धि


जाने-माने संगीतकार ए आर रहमान ने डैनी बायल की आस्कर विजेता फिल्म स्लमडाग मिलिनियर के लिए बेस्ट कम्पाइलेशन साउंडट्रैक और बेस्ट मोशन पिक्चर सांग श्रेणियों में दो ग्रैमी अवार्ड जीतकर विश्व मंच पर एक बार फिर भारतीयों का मस्तक ऊंचा कर दिया है। पिछले साल रहमान ने आस्कर में धूम मचाई थी। उन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डाग मिलिनियर में संगीत के लिए दो आस्कर अवार्ड से नवाजा गया था। ग्रैमी अवार्ड प्राप्त करने के बाद रहमान ने इसे अद्भुत अनुभव बताते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया। साउंडट्रैक श्रेणी में रहमान ने फिल्म कार्डिलेक रिकाड्स के लिए स्टीव जोर्डन, इनग्लोरियस बास्टर्ड के लिए क्वेनटीन टोरांटिनो और ट्विलाइट एवं ट्र ब्लड के निर्माताओं को पछाड़कर ग्रैमी जीता है। सर्वश्रेष्ठ गीत की श्रेणी में रहमान के जय हो ने आस्कर के लिए चयनित फिल्म द रेसलर में रेसलर गीत लिखने वाले ब्रूस स्प्रिंगस्टीन को हराया। लास एंजिलिस में आयोजित 52 वें ग्रैमी पुरस्कारों के भव्य समारोह में जहां रहमान को दो-दो पुरस्कार मिले, वहीं दो अन्य भारतीय उस्तादों को निराशा हाथ लगी। उस्ताद अमजद अली खान और उस्ताद जाकिर हुसैन को कामयाबी नहीं मिल सकी। अमजद अली खान को उनकी एल्बम एनसियंट साउंड्स के लिए नामित किया गया था जबकि तबला वादक जाकिर हुसैन को सर्वोत्तम क्लासिकल क्रासओवर एल्बम की श्रेणी में द मेलोड़ी आफ रिदम के लिए नामांकन मिला था। पिछली बार हुसैन को उनकी एल्बम ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट के लिए ग्रैमी अवार्ड से नवाजा गया था। जहां तक रहमान का सवाल है, जय हो के लिए उन्हें पहले ही गोल्डन ग्लोब ट्राफी और दो अकादमी अवार्ड मिल चुके हैं। वे पहले भारतीय हैं, जिन्हें आस्कर पुरस्कार मिला। रहमान ने ग्रैमी अवार्ड जीतने के बाद भले ही ईश्वर का आभार व्यक्त किया हो, लेकिन उनके परिवार, मित्रों और संगीत के जानकारों को इससे कोई ताज्जुब नहीं हुआ है। सभी का मानना है कि रहमान इस पुरस्कार के योग्य हैं। जय हो को अपनी आवाज देने वाले सुखविंदर सिंह की प्रतिक्रिया सही है कि रहमान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिलनी ही थी। उन्होंने यह भी कहा कि रोजा से यहां तक का रहमान का सफर बहुत ही खास रहा है। आस्कर अवार्ड जीतने वाले साउंड आर्टिस्ट रसूल पोकुट्टी ने इसे विलक्षण जीत बताते हुए कहा कि रहमान की जीत दिखाती है कि भारत सृजनात्मकता के क्षेत्र में भी एक ताकत के रूप में उभर रहा है। 44 वर्षीय रहमान को मद्रास का मोत्जार्ट कहा जाता है। वह बेहद विनम्र हैं। बहुत कम लोगों को मालूम है कि रहमान का जन्म का नाम ए एस दिलीप कुमार था, जिसे बदलकर वे अल्लाह रक्खा रहमान यानि ए आर रहमान बने। सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा कई अन्य भाषाओं में बनने वाली फिल्मों में भी संगीत दिया है। रहमान को संगीत अपने पिता आर के शेखर से विरासत में मिला, जो मलयाली फिल्मों में संगीत देते थे। हालांकि नौ साल की अल्पायु में ही रहमान के सिर से पिता का साया उठ गया। विलक्षण प्रतिभा के धनी रहमान के गानों की दो सौ करोड़ से भी अधिक रिकार्डिग अब तक बिक चुकी हैं। विश्व के टाप टेन म्युजिक कंपोजर्स में वे शुमार किए जाते हैं। रहमान ग्यारह बार फिल्म फेयर, सहित अनेक पुरस्कार जीत चुके हैं। 2000 में उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा गया था। निश्चय ही उनकी महान उपलब्धियों पर भारतीयों को उन पर गर्व है।
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1 comment:

डॉ. हरिओम पंवार - वीर रस के कवि said...

vastav me naisargik partibha ke dhani hain Rahman, aur Bharat ke gaurav bhi. Ham sabko un par garv hai.