Tuesday, February 9, 2010

इन उत्सवों को संभालिए


रुचिका गेहरोत्रा कांड के आरोपी पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर पर सोमवार को अदालत के बाहर चाकू से प्रहार करने वाले 28 वर्षीय युवक उत्सव शर्मा के संबंध में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की फाइन आर्ट्स फैकल्टी में बीएफए का वह गोल्ड मेडलिस्ट रहा है। उसकी शार्ट फिल्म चाय ब्रेक को प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए चुना गया है। वह मेधावी छात्र है और इस समय भले ही डिप्रेशन से ग्रस्त है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अहमदाबाद के प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल स्कूल आफ डिजायनिंग का छात्र है। अब तक की पूछताछ से पता चला है कि पिछले महीने वह पंचकूला पहुंचा और वहां की जाट धर्मशाला में रहकर एसपीएस राठौर के बारे में जानकारियां जुटा रहा था। धर्मशाला के केयरटेकर से उसने अपनी मंशा भी बताई थी कि वह रुचिका-राठौर प्रकरण पर फिल्म के लिए एक स्टोरी तैयार करना चाहता है। जिस धर्मशाला में वह रात बिताता था, वह न तो कोर्ट परिसर से दूर है और न राठौर के निवास स्थान से।

उत्सव की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। उल्टे वह बहुत प्रतिभाशाली छात्र रहा है। उसके पिता और माता बनारस के प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर और चिकित्सक हैं। उन दोनों को भी उत्सव के कृत्य पर आश्चर्य है और उनका साफ कहना है कि किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक नहीं है, लेकिन वे यह भी बताते हैं कि उस्तव की दिमागी हालत ठीक नहीं है। उसका पिछले चार महीने से अहमदाबाद में डिप्रेशन का उपचार चल रहा है, जिसके कागज लेकर वे दोनों बनारस से पंचकूला पहुंच रहे हैं। उत्सव ने छोटे चाकू से राठौर पर तीन वार करने की कोशिश की। गनीमत रही कि राठौर के चेहरे पर हल्की सी चोट आई। वे बच गए। चोट ज्यादा घातक भी हो सकती थी।
राठौर ने अपनी तरफ से हमलावर युवक के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं कराने का निर्णय लिया है। हो सकता है, कि यह गांधीगीरी दिखाकर वे उन करोड़ों भारतीयों की सहानुभूति हासिल करने की चेष्टा कर रहे हों, जो रुचिका गेहरोत्रा मामले में उनके कारनामों से बेहद नाराज हैं। कौन नहीं जानता कि राठौर ने रुचिका को विदेश जाने से रोका। उसका योन शोषण किया। उसके परिजन उनके खिलाफ शिकायत नहीं करें, इसके लिए उसके भाई को झूठे कार चोरी के मामलों में बंद कराकर बुरी तरह टार्चर किया। फीस जमा नहीं करा पाने पर रुचिका को स्कूल से बर्खास्त करा दिया। इस सबसे वह बालिका इस कदर टूटी कि अंतत: रुचिका ने आत्महत्या कर ली।
मीडिया के प्रेशर और लोगों के सड़कों पर उतर पड़ने के बाद रुचिका के परिजनों की हिम्मत बंधी है। केंद्र और हरियाणा सरकार भी जागी हैं. इतने साल बाद उन्हें भी लग रहा है कि रुचिका के परिवार के साथ ज्यादती हुई है. गृह मंत्री ने तो रुचिका के पिता को बुलाकर बात भी की है. मीडिया, लोगों और सरकारों की सक्रियता के बाद ऊंची अदालतों ने भी सकारात्मक रुख दिखाते हुए राठौर के खिलाफ नए सिरे से मामले दर्ज कर दोबारा जांच के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद जिस तरह राठौर को हरियाणा की पुलिस बचाने की चेष्टा करती रही है और राठौर के चेहरे पर गहरी होती मुस्कान देखी गई है, उससे उत्सव क्चया, हजारों-लाखों लोगों के मन में आक्रोश पैदा होता है।
हालांकि किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं किया जा सकता और किसी को भी कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.उत्सव ने जो किया, उसका समर्थन उसके माता पिता तक ने नहीं किया. लेकिन यह भी सच है कि इस प्रकरण ने आम आदमी के मन में राठोर जैसे पुलिस अधिकारियों के प्रति असम्मान और नफरत पैदा कर दी है. उन्हें लगता है कि पद का दुरपयोग कर अधिकारी कितने निचले स्तर हरकतों पर उतर सकते हैं..यह प्रकरण बताता है.सत्ता-व्यवस्था में बैठे लोगों को सोचना होगा कि उत्सव जसे प्रतिभाशाली नौजवान यदि अपने करियर को दांव पर लगाकर इस तरह आपा खो रहे हैं तो इसकी वजह क्या है। समय रहते उन कारणों को दूर करना होगा, नहीं तो एेसे बहुत से उत्सव कानून को हाथ में लेते नजर आएंगे। इस घटना से यह भी पता चलता है कि हमारा युवा वर्ग इस तरह के मामलों में कितना संजीदा होता जा रहा है.
omkarchaudhary@gmail.com

2 comments:

dharmendra said...

halanki utsav ke is ati utsah ko koi samanya insan sahi nahi kah sakta, lekin hum bhi yuva hain. dusre sabdo me kahen to utsav hum jaise yuvao ka ek sample hai.

डॉ. हरिओम पंवार - वीर रस के कवि said...

mujhe to Dushyant ji ki panktia yad aa gai:
ho gai hai peer parvat si pighlani chahiye
is himalay se koi ganga niklni chahiye.
mere seene me nahi to tere seene me sahi
ho kanhi bhi aag lekin aag jalni chahiye.
Rathor jaison ko dekhkar utsav ki partikriya me galat kya hai?