Saturday, February 13, 2010

संयोग या सुनियोजित साजिश ?

यह महज संयोग है या सोची समझी साजिश कि पुणे के कोरेगांव इलाके में जर्मन बेकरी में एेसे समय बम विस्फोट हुआ, जब भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की बातचीत की तारीख तय हुए चौबीस घंटे भी नहीं बीते थे। इस विस्फोट के पीछे पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठनों का हाथ है कि नहीं, फोरेंसिक जांच के बाद जल्द ही इसका खुलासा होने वाला है, लेकिन शक की सुईं एक बार फिर लश्कर ए तैयबा, इंडियन मुजाहिदीन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की ओर घूमती नजर आ रही है। ये ही वे जमातें हैं, जो नहीं चाहतीं कि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधरें। 26 नवम्बर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत बंद थी। भारत का साफ कहना था कि जब तक पाकिस्तान मुंबई के हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करता, तब तक बातचीत नहीं होगी, लेकिन हाल ही में भारत ने सचिव स्तर की बातचीत का प्रस्ताव रखा, जिसे पाक सरकार ने स्वीकार कर लिया। 25 फरवरी को नई दिल्ली में यह बातचीत होनी है, लेकिन पुणे के आतंकी हमले में अगर पाकिस्तान के आतंकी संगठनों और आईएसआई की भूमिका उजागर हुई तो बहुत संभव है, शुरू होने से पहले ही वार्ता फिर टूट जाए।
पुणे में यह पहली आतंकवादी वारदात है। मुंबई और महाराष्ट्र लगातार आतंकवादियों के निशाने पर रहा है। 26 नवम्बर 2008 का आतंकी हमला सबसे सुनियोजित और बड़ा था, जिसमें दस आतंकवादियों ने तीन दिन तक सेना, अर्धसैनिक बलों, एनएसजी कमांडो और मुंबई पुलिस से टक्कर ली। उस वारदात में पौने दो सौ से अधिक लोग मारे गए, जिनमें बीस से अधिक विदेशी थे। जांच में साफ हो गया था कि उस वारदात के तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े थे। सभी दस आतंकवादी कराची से समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे थे, जिनमें से नौ मारे गए और आमिर अजमल कसाब को जीवित पकड़ लिया गया, जिस पर इस समय मुंबई की विशेष अदालत में मुकदमा चल रहा है।
भारत कहता आया है कि पाकिस्तान सरकार ने मुंबई की वारदात के बाद भले ही कहा हो कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा, हकीकत यह है कि वहां आतंकवादियों का नेटवर्क जस का तस काम कर रहा है। मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को वहां खुली छूट है। वह पाक अधिकृत पाकिस्तान जाकर अभी भी भारत विरोधी भड़काऊ भाषण दे रहा है। यह अपने आप में हैरत की बात है कि पाकिस्तान अभी भी वहां सक्रिय भारत विरोधी जमातों और आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के बजाय उन्हें हवा दे रहा है। पाक प्रधानमंत्री का बयान आता है कि कश्मीर का मसला फलीस्तीन जैसा ही है और जब तक इसे हल नहीं किया जाएगा, तब तक दक्षिण व दक्षिण पूर्वी एशिया में शांति बहाल नहीं होगी। साफ है कि आतंकवाद की आग में झुलस रहे पाकिस्तान को अब भी अक्ल नहीं आ रही है। पुणे की इस ताजा घटना से साफ हो गया है कि खतरा टला नहीं है, बल्कि और बढ़ गया है। गृहमंत्री पी चिदम्बरम और पीएमओ की सक्रियता के चलते पिछले करीब सवा साल में कोई बड़ी वारदात नहीं हो सकी लेकिन इस तरह के हमलों की आशंका लगातार बनी रही है। इस घटना से साफ हो गया है कि न केवल केन्द्रीय एजेंसियों को बेहद सतर्क रहना होगा, बल्कि राज्यों को भी अपनी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को चुस्त चौकस करना होगा। पुणे की घटना के बाद जाहिर है, हालात एक बार फिर बदल गए हैं। यूपीए सरकार को पाकिस्तान के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के बारे में पुर्नविचार करना होगा, नहीं तो विपक्षी दल, खासकर भाजपा के तीखे सवालों का सामना उसे संसद के भीतर और बाहर करना होगा। इस घटना के बाद भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। उसने जानना चाहा है कि क्या सरकार रिलैक्स हो गई है। और सरकार स्पष्ट करे कि यह सब आखिर कब तक चलता रहेगा?
इस घटना से एक बात और स्पस्ट हुई है कि मुंबई कि तरह पुणे में भी आतंकवादियों के निशाने पर विदेशी ही थे. जर्मन बेकरी, जहाँ ये विस्फोट किया गया है, पर विदेशी बड़ी संख्या में आते हैं. इसके अलावा करीब ही यहूदियों का निवास है. पुणे में खासकर यूरोपियन देशों के नागरिक बड़ी तादाद में रहते हैं. आतंकवादी चाहते हैं कि विदेशियों में खौफ पैदा कर यह सन्देश भेजा जाए कि भारत उनके लिए सुरक्षित जगह नहीं है. भारत सरकार को इस घटना से सतर्क हो जाना चाहिए. आतंकवादियों का अगला टार्गेट निश्चित रूप से कामनवेल्थ गेम्स होंगे. पाकिस्तान नहीं चाहेगा कि भारत सफलता पूर्वक कामनवेल्थ गेम्स आयोजित कर दुनिया भर में यह सिद्ध करे कि यहाँ सुरक्षा के कोई खतरा नहीं है. इस समय दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत दौरे पर है. रविवार से कोलकाता में दूसरा टेस्ट शुरू हो रहा है. दोनों टीमों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है लेकिन भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादी लाहोर जैसी कोई हरकत नहीं करने पाएं जिसके बाद श्रीलंकन टीम को दौरा बीच में ही छोड़कर स्वदेश लौटना पड़ा था. उसके बाद से किसी देश की टीम ने पाकिस्तान जाने की हिम्मत नहीं की है.
omkarchaudhary@gmail.com

4 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत दुखद!!

Randhir Singh Suman said...

nindaniy hai.dukhat

डॉ. हरिओम पंवार - वीर रस के कवि said...

sajish hi hai

रंजन राजन said...

सचमुच आतंकवादी चाहते हैं कि विदेशियों में खौफ पैदा कर यह सन्देश भेजा जाए कि भारत उनके लिए सुरक्षित जगह नहीं है.
आपकी यह आशंका जायज लगती है कि आतंकवादियों का अगला टार्गेट निश्चित रूप से कामनवेल्थ गेम्स होंगे. पाकिस्तान नहीं चाहेगा कि भारत सफलता पूर्वक कामनवेल्थ गेम्स आयोजित कर दुनिया भर में यह सिद्ध करे कि यहाँ सुरक्षा के कोई खतरा नहीं है. निःसंदेह भारत सरकार को इस घटना से सतर्क हो जाना चाहिए.

लंबे अंतराल के बाद आपके ब्लाग पर आने का मौका मिल पाया, इसके लिए खेद है। इस दरम्यान आपके ब्लाग में हर तरह से निखार आया है।