tag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post4106532187748687889..comments2023-10-17T16:24:41.073+05:30Comments on आजकल: लालगढ़ों के मूल को समझना होगाओमकार चौधरीhttp://www.blogger.com/profile/00252694907504968476noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-40770053537948324962009-06-22T16:33:47.377+05:302009-06-22T16:33:47.377+05:30sahi kaha aapne sarkar gambhir nahi hai na aadivas...sahi kaha aapne sarkar gambhir nahi hai na aadivasi kshetron ke vikas ke liye aur na hi vote bank se aage sochne ke liye.डॉ. हरिओम पंवार - वीर रस के कविhttps://www.blogger.com/profile/01812664864240371762noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-59732720989126104122009-06-21T21:55:24.371+05:302009-06-21T21:55:24.371+05:30लगता है यहाँ सभी दल राजनीती कर रहे ! देश की एकता अ...लगता है यहाँ सभी दल राजनीती कर रहे ! देश की एकता अखंडता की किसी भी दल को कोई परवाह नहीं ! यह सब वर्चस्व की लडाई है | सबका मकसद सिर्फ सत्ता हथियाने के अलावा कुछ नहीं |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-3963095236361742772009-06-21T21:05:08.056+05:302009-06-21T21:05:08.056+05:30लालगढ़ की समस्या को कोई नहीं समझ पाया
संजीव पांडेय...लालगढ़ की समस्या को कोई नहीं समझ पाया<br />संजीव पांडेय<br />लालगढ़ में माओवािदयों के िखलाफ हो रही कारॆवाई के जड़मूल में कोई नहीं जाना चाहता। लालगढ़ तब सुिखॆयों में आया जब बुद्वदेव भट्चायॆ और रामिवलास पासवान पर बारूदी सुरंग से हमला के कोिशश हुई। दोनों नेता इस इलाके में िजंदल सटील के एक पलांट का िशलान्यास कर लौट रहे थे। इस हमले में दोनों नेता बालबाल बच गए थे। ये हमला तब हुआ था जब िसंगूर मंे टाटा प्रोजेक्ट और नंदीग्राम के पास हलिदया परोजेक्ट को लेकर तृणमूल कांगरेस संघषॆ कर रही थी। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले इन दोनों नेताओं पर हमला हुआ था। दरअसल लालगढ़ में भी दोनों नेताओं के उपर हमले के पीछे एक औध्योिगक प्रोजेक्ट है िजसे िजंदल स्टील वाले लगा रहे है। ये यहां पर लगभग पांच हजार हेक्टेयर जमीन कौिड़यों के भाव में खरीद रहे है। ये जमीन जंगलों का है,िजसपर वरषोॆ से आिदवािशयों का कबजा है। इससे पहले भी संथाल आिदवािसयों का आंदोलन आजादी के पहले और आजादी के बाद जल जमीन और जंगल के िलए इस इलाक ेमें होता रहा है। आिदवासी इस इलाके में जंगल का इलाका कौिड़यों के भाव में आिदवािसयों को िदए जाने के िखलाफ है। साथ ही िजनका जमीन िलया जा रहा है उन्हें पूरी कीमत नहीं दी जा रही है। ठीक उसी तरह से यहां पर भी हो रहा है जो नंदीगराम और िसंगूर में हो रहा है। इसका फायदा माओवािदयों ने उठाया। यहां के स्थानीय आिदवािसयों को समरथन देने के बहाने वो घूसे। अगर सरकार की नीितयां ठीक रहती तो आिदवासी माओवािदयों के समथॆन में नहीं आते। आज यहां पर माओवादी आिदवािसयों के रहनुमा बन गए। गौरतलब है िक नंदीगराम में भी तृणमूल कांगरेस के कारयकरता माओवािदयों के सपोटॆ से आंदोलन चला रहे थे। <br />िदलचसप बात है िक अभी तक लालगढ़ मसले पर ममता बनजीॆ चुप है। वो केंदर की सरकार में शािमल है। यहां पर भी मसला जमीन अिधगरहण का है। हजारों हेकटेयर जमीन कौिड़यों के भाव ेमं िलया जा रहा है। सथानीय तौर पर ममता बनजीॆ के कायॆकताॆ माओवािदोयं के साथ हो चुके है और कांगरेस के कायॆकताॆ भी माओवािदयों के साथ है। एेसे में अब केंद्र सरकार अपनी उन नीितयों को बदले जो आिदवासी लोगों को माओवािदयों के शरण में जाने को मजबूर कर रही है। िदलचसप बात है िक देश के उन इलाकों में िपछले समय में माओवािदयों ने अपनी मजबूती बनायी है जहां पर आिदवासी काफी है। ये इलाका जंगली है। िसफॆ पुिलस से समस्या का िनपटारा नहीं हो सकता है। कम से कम समसया की जड़ में जाए सरकार। आिदवािसयों के जमीन और जंगल को बचाए। नहीं तो आने वाले िदनों ेमं िसथित और िवकट होगी। जो उद्योग आज सथािपत हो रहे है वहां पर लैंडमाइन लगाकर उड़ान े की कोिशश माओवादी करेंगे। इसिलए आिदवासी समाज के िवचार,सम्मान की रछा कर कोई िवकास हो तो जयादा अचछा रहेगा।Anonymousnoreply@blogger.com