Thursday, September 11, 2008

कुछ शेर आपके लिए

बरसों की दोस्ती में तारुफ़ न हो सका
दोनों की दोस्ती में इतना रख रखाव था
वो तो तुम्हारे प्यार की बरसात हो गयी
वरना मेरा वजूद दहकता अलाव था

ये और बात है कि तारुफ़ न हो सका
मै ज़िन्दगी के साथ बहुत दूर तक चला

आइना बनने से बेहतर है तुम पत्थर बनो
जब तरसे जाओगे, देवता कहलाओगे

दिल क्या चीज है, हम रूह में उतरे होते हैं
तुमने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह

क्यों डराते हो कि तूफान भी आएँगे कभी
मै तो मौजों से भी टकरा के निकल जाऊँगा
मेरा वादा है चट्टानों की तरह पक्का
मै तुम्हारा दिल नहीं, जो बदल जाऊंगा

मै तेरे पास आऊं, मुमकिन ही नहीं है
दरिया से कभी जाके समंदर नहीं मिलता
तुम अपना बना लो मुझे इख्लासे वफ़ा से
वरना मेरी फितरत है, मै झुक कर नहीं मिलता

जीना है मुझे दूसरों के जहनो मै हमेशा
ऐ ज़िन्दगी, सुकरात हूँ जहर पिला दे

बेकरारी तो मेरी देख ली अब मेरा जब्त देख
इतना खामोश रहेंगे कि तुम चीख उठोगे

चुप हैं, कोई सबब है पत्थर हमें न जान
दिल पर असर हुआ है तेरी बात बात का

कितने मजबूर हैं हम अपनी अना के हाथों
रेजा रेजा भी हैं, और बिखरते भी नहीं

जाने दो हमको तूफ़ान ऐ आरजू में
जब डूबने लगेंगे, तुमको पुकार लेंगे

( बरसों पहले किसी ने मुझे ये शेर सुनाए थे. मैंने इन्हे संजो कर रखा हुआ था. मुझे नहीं पता कि ये किन शायरों के हैं, लेकिन मुझे भी पसंद हैं. आपको कैसे लगे, जरूर बताएं - ओमकार चौधरी )

ओमकार चौधरी
omkarchaudhary@gamil.com





9 comments:

फ़िरदौस ख़ान said...

बरसों की दोस्ती में तारुफ़ न हो सका
दोनों की दोस्ती में इतना रख रखाव था
वो तो तुम्हारे प्यार की बरसात हो गयी
वरना मेरा वजूद दहकता अलाव था

बेहद उम्दा...

शैलेश भारतवासी said...

मज़ा आ गया

कितने मजबूर हैं हम अपनी अना के हाथों
रेजा रेजा भी हैं, और बिखरते भी नहीं

Manvinder said...

बरसों की दोस्ती में तारुफ़ न हो सका
दोनों की दोस्ती में इतना रख रखाव था
वो तो तुम्हारे प्यार की बरसात हो गयी
वरना मेरा वजूद दहकता अलाव था


किसी पल कोई आपको अपने दिल की बात कहता है.... उस अंदाज को अपने सहेज कर रखा है ये खूबसूरत लगा ..शेअर भी अच्छे हैं

Anonymous said...

जय हो चौधरी साहब की,
आप तो सचमुच बादाम की तरह निकले। मजा आ गया। क्या खूब शेर परोसे हैं।
मै तेरे पास आऊं, मुमकिन ही नहीं है
दरिया से कभी जाके समंदर नहीं मिलता
तुम अपना बना लो मुझे इख्लासे वफ़ा से
वरना मेरी फितरत है, मै झुक कर नहीं मिलता

रंजन राजन said...

वो तो तुम्हारे प्यार की बरसात हो गयी
वरना मेरा वजूद दहकता अलाव था
.........
जाने दो हमको तूफ़ान ऐ आरजू में
जब डूबने लगेंगे, तुमको पुकार लेंगे
-
मज़ा आ गया.
कोई आपको अपने दिल की बात कहता है,उस अंदाज को अपने सहेज कर रखा ये खूबसूरत लगा.

Udan Tashtari said...

उम्दा...मज़ा आ गया!!

पढ़वाने का आप को बहुत शुक्रिया!!

parul said...

sir,
bhuat acha likha h. apke yhe bhav jaankar khushi hui,
very nice sir

Anonymous said...

sir aapke sare ka to jawab nahi. bahut ki aacha likha hain.

इक इल्तज़ा है तुमसे
के मेरे दोस्त बन जाओ
और मुझे महोब्बत न करो.....

ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ
और मुझे महोब्बत न करो.......॥


सिवा तुम्हारे कुछ सोचूँ मैं नहीं
सोचता हूँ बता दूं
मगर रूबरू जब तुम हो तो कुछ बोलूं मैं नहीं...

काश ऐसा हो के
मैं तुम,तुम मैं बन जाओ
और मुझे महोब्बत ना करो......॥


अक्सर देखा है
महोब्बत को नाकाम होते हुए
साथ जीने के वादे किए
फिर तनहा रोते हुए.......

जो हमेशा साथ निभाए..वो तो बस दोस्ती है
जो कभी ना रूलाए..वो तो बस दोस्ती है........
यूँ ही देखा है बचपन की दोस्ती को बूढा होते हूए
ना किए कभी वादे..पर हर वादे को पूरा होते हूए...॥

ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ
और मुझे महोब्बत न करो...
ये इल्तज़ा है के मेरे दोस्त बन जाओ
और मुझे महोब्बत न करो......॥

abhishek said...

wah ,