Tuesday, February 10, 2009

राहुल गांधी पर दांव लगाएगी कांग्रेस

कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी पर दांव लगाने जा रही है। सोनिया गांधी और डा. मनमोहन सिंह के अलावा वे पार्टी के तीसरे स्टार प्रचारक होंगे। देश भर में भेजी जा रही प्रचार सामग्री में उन्हें सोनिया और मनमोहन सिंह के साथ प्रमुखता से स्थान दिया गया है। दिल्ली में सड़कों के दोनों ओर लगे होर्डिग्स और प्रचार सामग्री में भी राहुल गांधी को इन दोनों के साथ दर्शाया जा रहा है। पार्टी के इस कदम से एक बार फिर इन चर्चाओं को पंख लग गए हैं कि यदि कांग्रेस को फिर जनादेश मिला तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। एेसे कयास लगाए जा रहे हैं कि एेसा मौका अने पर मनमोहन सिंह खुद पीछे हटते हुए गांधी-नेहरू खानदान की इस अगली पीढ़ी के लिए रास्ता बना देंगे।

राहुल गांधी को सभी अहम फैसलों में शामिल ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि उनकी राय को खास तरजीह दी जा रही है। कार्यसमिति की बैठक में उनकी इच्छा को देखते हुए ही तीस प्रतिशत टिकट नौजवानों को देने का नीतिगत निर्णय लिया गया। माना जा रहा है कि राहुल चाहते हैं कि कांग्रेस की कमान अब धीरे-धीरे युवा नेताओं के हाथ में सौंप दी जाए। हाल ही में खुद उनकी मां सोनिया गांधी ने भी बुजुर्ग नेताओं को युवाओं को आगे आने देने की नसीहत दी थी।
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी पार्टी के प्रचार के लिए देश भर में जाएंगे। कुछ जनसभाएं वे अपनी मां सोनिया गांधी के साथ संबोधित करेंगे तो कुछ जनसभाओं में प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह के साथ जाएंगे। कई राज्यों में वे अकेले जाकर रोड़ शो भी करने वाले हैं। पार्टी नेताओं को लगता है कि राहुल के धुंआधार प्रचार में उतरने से कांग्रेस के पक्ष में हवा बनेगी।
19 जून 1970 में जन्मे राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा के सदस्य हैं। वह एेसे परिवार से हैं, जिसने भारत पर 37 वर्ष शासन किया है। उनके नाना जवाहरलाल नेहरू 1947 से 1964 तक, सत्रह साल प्रधानमंत्री रहे। उनकी दादी इंदिरा गांधी ने 15वर्ष तक प्रधानमंत्री पद संभाला। उनके पिता राजीव गांधी ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पांच साल तक देश की बागडोर संभाली। 2004 में उनकी मां सोनिया गांधी को भी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की नेता के नाते यह अवसर मिला था, लेकिन उन्होंने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला लिया। उन्हें लगा कि विपक्षी दल उनके विदेशी मूल के मुद्दे को तूल देकर कदम-कदम पर मुश्किलें खड़ी करेंगे। 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने वालों में राहुल गांधी भी थे, तब उनकी उम्र (34 वर्ष) थी और राजनीतिक अनुभव भी न के बराबर था। उनके पिता राजीव गांधी जब 1984 में प्रधानमंत्री बने, तब उनकी आयु 40 साल थी। जून 2009 में राहुल भी 39 वर्ष के हो जाएंगे। इसलिए यह माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से वे भी प्रधानमंत्री पद के तगड़े दावेदार हैं। हो सकता है कि लोकसभा चुनाव में जाते समय सोनिया गांधी मनमोहन अथवा राहुल के नाम को आगे न करें लेकिन यदि परिणाम अच्छे रहे तो हो सकता है कि तब राहुल को कमान थमाने का निर्णय हो। यह भी संभव है कि खुद मनमोहन इस तरह का प्रस्ताव रख दें।
ओमकार चौधरी
omkarchaudhary@gmail.com

1 comment:

अविनाश वाचस्पति said...

या तो सब कुछ लुटाएगी अथवा
सब जगह धाक जमाएगी कांग्रेस।