Tuesday, April 14, 2009
मास्टर ब्लास्टर को एक और सम्मान
यह अकेले सचिन तेंदुलकर ही नहीं, भारतीय खेल जगत के लिए भी गौरव का विषय है कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की मूर्ति लंदन के मैडम तुस्साद म्युजियम में लगने जा रही है। वह पहले भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्हें यह सम्मान मिलने जा रहा है। आस्ट्रेलिया के जिस महान स्पीनर ने एकाधिक बार यह कहा कि उन्हें सपने में भी उनकी गेंदों पर सचिन तेंदुलकर धमाकेदार बल्लेबाजी करते हुए नजर आते हैं, उन शेन वार्न की मूर्ति वहां पहले ही लग चुकी है।
सचिन के अलावा जिन भारतीयों को अब तक यह सम्मान मिला है, उनमें गांधी जी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अमिताभ बच्चन, एश्वर्य राय बच्चन, सलमान खान और शाहरुख खान शामिल हैं। मैडम तुस्साद म्युजियम में ब्रायन लारा, डेविड मेकहम, मार्टिना नवरातिलोवा, मार्टिना हिंगिस, मोहम्मद अली जैसे विश्व प्रसिद्ध खिलाड़ियों से लेकर चार्ली चैपलिन, एंजलिना जौली, बार्बरा विंडसर, ब्रूस ली, एलिजाबैथ टेलर, जूलिया रार्बट्स जसी नामचीन विदेशी फिल्मी हस्तियों और दलाई लामा, डायना, हिलेरी व बिल क्लींटन, मिसेल व बराक ओबामा, क्वीन एलिजाबैथ, मार्गरेट अल्वा, नेलसन मंडेला, नेपोलियन, पाप जोन पाल, अब्राहिम लिंकन जैसी विश्व प्रसिद्ध हस्तियों की मूर्तियां लगी हैं। यही वजह है कि सचिन तेंदुलकर ने इसे खास सौगात और लम्हे बताते हुए कहा कि उनके जन्म दिन 24 अप्रैल के लिए इससे खास तोहफा और क्या हो सकता है?
पाठकों को यह जानकर थोड़ा आश्चर्य होगा कि हमारे देश की एक हस्ती एेसी भी है, जिसने मैडम तुस्साद म्युजियम का उनकी मूर्ति लगाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। वह कोई और नहीं, फिल्म अभिनेता आमिर खान हैं। बहरहाल, सचिन तेंदुलकर एेसे आठवें भारतीय हैं, जिन्हें यह सम्मान मिलने जा रहा है। इस पर बहस और चर्चा हो सकती है कि उनसे पहले यह सम्मान सुनील गावस्कर, कपिल देव अथवा हाकी के जादूगर ध्यानचंद को क्यों नहीं दिया गया। टैगोर से लेकर प्रेमचंद और राजकपूर से लेकर ए आर रहमान तक अनेक एेसी हस्तियां हैं, जो इस सम्मान की पात्र हैं, लेकिन इस बहस में पड़ने के बजाय इस खास मौके पर खुशी जाहिर करने की जरूरत है, जो सामने है।
सचिन भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए विशेष खिलाड़ी हैं। उनके रिकार्डस किसी को भी चमत्कृत कर सकते हैं। बीस साल से वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं और रनों की उनकी भूख आज भी पहले जैसी हैं। दस दिन बाद वे 36 वर्ष के हो जाएंगे लेकिन उनके चेहरे पर होशा बाल सुलभ मुस्कान उनकी महानता और उदारमन की परिचायक है। उन्हें जीनियस कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनकी प्रतिमा म्युजियम में होगी तो पर्यटकों को निश्चित ही नित नई ऊंचाईयां छूने के लिए प्रेरित करती रहेगी।
ओमकार चौधरी
omkarchaudhary@gmail.com
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
छब्बीस जुलाई को देश ने कारगिल जंग का दसवां विजय दिवस मनाया. 15 मई 1999 में शुरू हुई लड़ाई 26 जुलाई को खत्म हुई थी। इसमें भारत के 533 जवान शह...
-
इस बार का रक्षा बंधन हमारे परिवार के लिए अजीब सी खामोशी लेकर आया। सब चुप-चुप से थे। हमें पिछला रक्षाबंधन याद आ रहा था। पिछले साल जब मैं सोकर...
-
बड़ी दीवाली पर हर साल परिवार के साथ गाँव जाना होता है. इस बार भी गया. मेरा गाँव दबथुवा मेरठ जिले में सरधना मार्ग पर है. एक किसान परिवार में ...
3 comments:
उन्हें जीनियस कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनकी प्रतिमा म्युजियम में होगी तो पर्यटकों को निश्चित ही नित नई ऊंचाईयां छूने के लिए प्रेरित करती रहेगी। वे हैं ही अलग हट कर .......अब और भी अलग से हो जाएँगे ......
पाठकों को अच्छी जानकारी देने के लिए शुक्रिया
जानकर खुशी हुई कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की मूर्ति लंदन के मैडम तुस्साद म्युजियम में लगने जा रही है ... शुक्रिया।
ab hume khushi us din hogi jab sachin ke naam par koi award ghosit ho.
Post a Comment