Friday, November 27, 2009

अमेरिका और चीन लें जिम्मेदारी

त्निनिदाद में राष्ट्रमंडल देशों के नेताओं का सम्मेलन एेसे समय हो रहा है, जब अगले महीने होने जा रहे कोपनहेगन सम्मेलन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। कोपहेगन में जलवायु परिवर्तन पर गंभीर मंत्रणा होने और कुछ अहम फैसले लिये जाने की संभावना है। हालाँकि जानकार इस तरह के दावों को संदेह की द्रष्टि से देख रहे हैं

त्रिनिदाद सम्मेलन का ध्यान भी पूरी तरह जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित रहने की संभावना है। इस सम्मेलन का महत्व इस कारण भी बढ़ गया है क्योंकि यह 53 देशों वाले राष्ट्रमंडल संगठन की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ पर हो रहा है। प्रधानमंत्नी मनमोहन सिंह अपने अमेरिका दौरे के बाद त्निनिदाद में पोर्ट आफ़ स्पेन पहुँच चुके हैं। माना जा रहा है कि कोपनहेगेन में जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय चर्चा से पहले ये जलवायु परिवर्तन संबंधित मुद्दों पर सहमति बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है। इसमें राष्ट्रमंडल से बाहर के देशों के अहम नेताओं को भी आमंत्नित किया गया है। इनमें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून, फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी और डेनमार्क के प्रधानमंत्नी लार्स लेक रास्मुसिन शामिल हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्नी गार्डन ब्राउन ने उम्मीद जाहिर की है कि यह कोपनहेगेन सम्मेलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। हालांकि पयर्वेक्षकों का साफ कहना है कि इस सम्मेलन में भी ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन के लिए जि़म्मेदार देशों और छोटे विकासशील देशों के बीच की खाई और मतभेदों को पाटना मुश्किल होगा। कोपनहेगेन सम्मेलन से भी हालांकि बहुत ज्यादा उम्मीदें लोग नहीं लगा रहे हैं क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी का कहना है कि कोपेनहेगन में ऐसी कोई संधि नहीं होने जा रही है जो कानूनी रुप से बाध्यकारी हो। हालांकि जलवायु परिवर्तन पर एक राजनीतिक सहमति बन सकती है जो अगले कुछ महीनों में क़ानूनी संधि के लिए रास्ता बनाए। विकासशील देश और पर्यावरण कार्यकर्ता इस देरी से नाराज हैं और कह रहे हैं कि इससे धनी देशों की छवि पर नाकारात्मक असर पड़ रहा है। कोपनहेगन सम्मेलन का महत्व इस कारण बढ़ गया है क्चयोंकि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसमें शामिल होने का एलान किया है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि चीनी राष्ट्रपति वहां पहुंचेंगे या नहीं। ये ही दोनों देश ग्रीनहाऊस गैसों का सर्वाधिक उत्सर्जन करते हैं। अमेरिका ने घोषणा की है कि वो कई चरणों में ग्रीनहाउस गैसों से होने वाला उत्सर्जन कम करेगा और इसकी शुरुआत 2020 तक 17 फ़ीसदी की कटौती से की जाएगी। यह पहला मौका है जब अमेरिका ने कोई लक्ष्य निर्धारित किया है।

1 comment:

डॉ. हरिओम पंवार - वीर रस के कवि said...

ve apni jimmedari ko nibhayenge aisi ummeed to ham kar hi sakate hain