Tuesday, February 16, 2010

निपटना ही होगा माओवादियों से

मुंबई पर हमले के चौदह महीने बाद तक देश में कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ। अब पुणे में एक बेकरी को निशाना बनाया गया तो तमाम तरह की नुक्ताचीनी शुरू हो गई। कुछ आलोचकों ने तो पाकिस्तान के साथ 25 फरवरी को नई दिल्ली में प्रस्तावित बातचीत को रद्द कर देने तक की सलाह दे डाली, जबकि वह भी जानते हैं कि आतंकवाद की आग में इस समय खुद पाकिस्तान भी झुलस रहा है। हालांकि यह भी सच है कि इस आग से खेलने का खेल भी उसी ने शुरू किया था। हाल में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने कहा था कि माओवादी हिंसा देश की एकता-अखंडता और आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा और चुनौती बन गई है। आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों की बैठक के फौरन बाद गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने नक्सली हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अलग से बैठक आयोजित की लेकिन बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने उसमें हिस्सा लेना तक मुनासिब नहीं समझा। इससे पता चलता है कि राज्य सरकारें इस गंभीर होती जा रही समस्या के प्रति कितनी संजीदा हैं।
पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में इस समय नक्चसलवादी हिंसा का तांडव मचाए हुए हैं। सोमवार को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स के शिविर पर दो दर्जन से अधिक हथियारबंद नक्सलियों ने हमला कर बीस से अधिक जवानों को मार डाला। गृह मंत्नी पी. चिंदबरम ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि मिदनापुर जिले में हुआ यह हमला और इस तरह के सभी हमले नक्सलियों की वास्तविक प्रकृति और चरित्न को उजागर करते हैं। चिदंबरम ने कहा कि शिविर से 40 से अधिक हथियारों के लूटे जाने की खबर है। गौरतलब है कि भाकपा-माओवादी के नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए धमकी दी है कि जब तक माओवादियों के खिलाफ की जा रही सैन्य कार्रवाई नहीं रुकेगी, तब तक इस तरह के हमले जारी रहेंगे।
नौ फरवरी को पी चिदम्बरम ने नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त अभियान के लिए कोलकाता में उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके ठीक छह दिन के भीतर यह हमला हुआ है। चिदम्बरम ने कोतकाता में कहा था कि यदि नक्सलवादी हिंसा की गतिविधियों को छोड़ने को तैयार हों तो सरकार उनके साथ किसी भी विषय पर वार्ता के लिए तैयार है। चिदंबरम इन अटकलों को खारिज किया था कि नक्सलियों के खिलाफ प्रभावित राज्यों में जारी अभियान में उनकी हत्या कर दी जाएगी। गृहमंत्री ने इस तरह की मीडिया रिपोर्टों पर साफ कहा कि वे हमारे लोग हैं, हमें उनके जीवन की चिंता है। इसका उद्देश्य नक्सल प्रभावित इलाकों में नागरिक प्रशासन को फिर से स्थापित करना है। नक्सलियों के इस ताजा हमले से साफ हो गया है कि वे शासन को न केवल सीधी चुनौती दे रहे हैं बल्कि सुरक्षाकर्मियों के मनोबल को तोड़कर इस अभियान को भोथरा कर देना चाहते हैं। साफ है कि नक्सली हिंसा आतंकवाद से भी बड़ी चुनौती बनती जा रही है और अब समय आ गया है, जब सरकार को इससे निपटने के लिए कई मोरचों पर गंभीर प्रयास करने ही होंगे।

3 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कौन निपटेगा. भ्रष्ट अफसर जिनकी आंखों के नीचे से हथियारों की सप्लाई होती है. वे नेता जो ठोस निर्णय नहीं ले सकते और खुद भी घोटालों में लिप्त हैं. अफसरशाही जो लोकहित में काम करना अपना अपमान समझती है या फिर गरीब जनता जो केवल वोट देने के लिये बनी है.

Ankur's Arena said...

naxalvaad kewal kuch hi rajyo ki samasya nahi hai... yeh hum sab ki samasya hai, hum sab ki vajah se hai... jab kisi ghar mein paanch mein se kewal teen ko hi lad pyar aur sukh suvidhayein milengi aur baaki do ko chhod diya jayega apne haal par, tab ek star ke baad unmein kuntha ka janm lena behad swabhavik hai... aise rajyo mein inhi police bal ne suraksha ke naam par jo kuch kiya hai, vah sab humse zyada vahin ke log jante hain... aise mein yeh atyant aavashyak hai ki hum abhi se, jo bhi keemat humein deni pade, in rajyo ki swatantrata ki aur kadam badhayein... jab tak army emergency paristithi banae rakhegi, tab tak kisi bhi tarah ki aman ki aasha shayad bemani hogi... chidambaram sahab ek spasht aur achchhe insaan hain, aur samasya ki gahrai vo bhi jante hain... vo ye bhi jante hain ki hamari maujuda rajneeti aur aarthik zaruratein humein in samasyanon ki jadon tak nahi jane degi...

डॉ. हरिओम पंवार - वीर रस के कवि said...

vakai samsya ati gambhir hai aur sarkar ko kade se kade kadam uthane chahiye anytha bad me pachhtana padega