tag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post6717868747083584377..comments2023-10-17T16:24:41.073+05:30Comments on आजकल: स्वाइन फ्लू का हौव्वा ठीक नहींओमकार चौधरीhttp://www.blogger.com/profile/00252694907504968476noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-13765450218115819892009-08-22T07:43:42.445+05:302009-08-22T07:43:42.445+05:30ओमकार भाईसाहब, ब्लॉग की दुनिया में टहलते-टहलते आपस...ओमकार भाईसाहब, ब्लॉग की दुनिया में टहलते-टहलते आपसे मुलाक़ात हुई, मेरठ के सारे दिन पिक्चर की तरह सामने आ गए, बेहद अच्छा लगा. आज़ादी के दिन से अपना ब्लॉग शुरू किया है- देशनामा. swine फ्लू या HINI वाकई देश के लिए बड़ा खतरा है.चीन ने HINI फ्लू के मामले में दिखा दिया है कि इस तरह के खतरे से कैसे निपटा जाता है. वहां बाहर से आने वाली किसी भी उडान में कोई भी संदिग्ध दिखा उसे फ़ौरन आइसोलेशन में ले जाया गया, न्यू ओरलेंस के मेयर और उनकी पत्नी तक को नहीं बख्शा गया. कोई राजनयिक पहुँच नहीं. खाने की थाली बस आइसोलेशन रूम के बाहर रख दी जाती थी. नतीजा यह कि HINI के तीन हज़ार केस के बावजूद चीन में एक भी मौत नहीं हुई. कोई बात समाज की भलाई के लिए हो तो तूफ़ान नहीं खडा किया जाना चाहिए. यह बात मीडिया भी.समझेKhushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-82198161785272630992009-08-13T00:36:40.031+05:302009-08-13T00:36:40.031+05:30sjagta to achchi hee hai. aur Airport par janch bh...sjagta to achchi hee hai. aur Airport par janch bhee sahee hai bahar se hee to aarahee hai beemaree.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-91811606613768977562009-08-12T18:51:52.299+05:302009-08-12T18:51:52.299+05:30jab itna bda havva hai to hakikat chhoti hi milegi...jab itna bda havva hai to hakikat chhoti hi milegi, hamne to BABA RAMDEV ji ki baat maan li- yog karo nirog raho. lekin sarkar ki sajagta hairan karne wali hai, videshi bimari hai jiडॉ. हरिओम पंवार - वीर रस के कविhttps://www.blogger.com/profile/01812664864240371762noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-28616911916420228142009-08-12T18:50:03.999+05:302009-08-12T18:50:03.999+05:30jab itna bda havva hai to hakikat chhoti hi milegi...jab itna bda havva hai to hakikat chhoti hi milegi, hamne to BABA RAMDEV ji ki baat maan li- yog karo nirog raho. lekin sarkar ki sajagta hairan karne wali hai, videshi bimari hai jiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-8860443272706750492009-08-12T14:45:00.812+05:302009-08-12T14:45:00.812+05:30स्वाइन फ्लू और स्पेनिश फ्लू में कई अंतर हैं, इन्हे...स्वाइन फ्लू और स्पेनिश फ्लू में कई अंतर हैं, इन्हें एक ही नहीं माना जा सकता. इन महामारीयों की दहशत में मेडिकल कंपनियों के और कोर्पोरेशंस के कितने गहरे हित छिपे हुए हैं यह एक बार सोचने की कोशिश करें तो कहानी कुछ कुछ खुद ही साफ़ हो जायेगी. <br /><br />वैसे एक समय हैपेताइतस सी का भी हौआ फैलाया गया था, वैक्सीनेशन के नाम पर खरबों पीटे गए, मीडिया की मदद से जमकर दहशत फैलाई जा रही थी. अब कहाँ है लाइलाज हैपेताइतस सी के मरीज? या इससे मरने वालों के नाम? <br /><br />सीधा खेल है की : <b>पहले दहशत पैदा करो,<br /><br />कुछ सामान लक्षण वाले मामूली रोगों के मरीजों को जबरजस्ती इस बीमारी का मरीज बताओ,<br /><br />इनमे से कई मौतों का कारण इस बीमारी को बता दो <br /><br />फिर इस दहशत से वैक्सीनेशन और दवाओं के नाम पर मुनाफा कमाओ, <br /><br />पूरी मलाई निकालने के बाद चुप्पी साध लो क्योंकि जनता की याददाश्त काफी कम होती है. <br /><br />और कुछ सालों बाद फिर इसी खेल को शुरू कर दो. </b><br /><br />और मेडिकल के क्षेत्र में स्वार्थ इतना हावी हो चुका है की फायदे की खातिर कुछ वाइरल या निमोनिया जैसी मामूली समस्याओं के मरीजों को स्वाइन फ्लू का मरीज बता कर और जबरजस्ती मारकर दहशत का कारोबार खड़ा किया जा रहा है.ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-33540719554630095592009-08-12T11:57:49.381+05:302009-08-12T11:57:49.381+05:30जहां तक मेरा अध्ययन है यह आंकडा नौ करोड़ पैंतीस ला...जहां तक मेरा अध्ययन है यह आंकडा नौ करोड़ पैंतीस लाख आठ सौ लोगों का है. और उस वक्त ये बीमारी उन लोगों में फ़ैली थी जो सूअर का सेवन करते थे. जबकि इस बार ये बीमारी संक्रमण के चलते फ़ैली है. पहले फ़ैली बीमारी में मेनेन्जाइतिस के लक्षण देखने को मिले थे. इसलिए इन दोंनो की तुलना करना ठीक नहीं है.वजूदhttps://www.blogger.com/profile/16837054003184246989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-81963049585430146022009-08-11T22:47:27.229+05:302009-08-11T22:47:27.229+05:30@३ नहीं १० करोड़ लोग मरे थे !@३ नहीं १० करोड़ लोग मरे थे !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-8904292209076348732009-08-11T22:15:43.373+05:302009-08-11T22:15:43.373+05:30आपके अज्ञान पर खेद है, क्या आपको पता है कि 1918 मे...आपके अज्ञान पर खेद है, क्या आपको पता है कि 1918 में इसी H1N1 वायरस के एक म्युटेशन की वजह से विश्व के 3 करोड़ लोग काल को प्राप्त हुये थे जो उस समय विश्व कि कुल आबादी का 6 प्रतिशत था?<br /><br />आज और 1918 में बहुत फर्क है, आज किसी पेन्डेमिक के फैलने कि गति बहुत तीव्र है क्योंकि लोग आज बहुत जल्द एक से दूसरे स्थान पहुंचते हैं.<br /><br />आप चिंता नहीं करते तो अच्छा है, लेकिन किसी की सावधानी का मजाक न बनायें. सरकार जो भी कदम किसी पेन्डेमिक रोकने को उठाये तो ज्यादा नहीं है.<br /><br />आजकल नसीम निकोलस तलेब की किताब ब्लैक स्वान पढ़ रहा हूं जिसमें एक बात बहुत काम की लिखी है<br /><br />इतिहास उन लोगों को तो याद रखता है जिन्होंने मुसीबत के दौरान हौसला दिखाया, लेकिन उन्हें भूल जाता है जिनके हौसले से मुसीबत ही टल गई.<br /><br />मतलब अगर यह बीमारी पेन्डेमिक बन जाये तो वो डॉक्टर हीरो होंगे जो जान पर खेल कर इलाज करेंगे, लेकिन अगर यह quarantine और जल्द कदमों के कारण पेन्डेमिक बनने से बच जाये तो लोग बाद में इसके खतरे को कम कर के आंकेंगे और इसको रोकने वाले लोगों का मजाक ही बनेगा<br /><br />इसलिये सुरक्षा के लिये उठाये गये कदमों की आलोचना से पहले बात को समझिये फिर बोलिये.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-12201862853436508602009-08-11T18:48:59.873+05:302009-08-11T18:48:59.873+05:30आपकी बात से सहमत भी हूँ और असहमत भी।
आपने जो आँकड...आपकी बात से सहमत भी हूँ और असहमत भी।<br /><br />आपने जो आँकडे बताये हैं (दूसरी बिमारियों के) वो साल भर के हैं, जबकि स्वाईन फ़्लू अभी अभी शुरु हुआ है (मैं यह बिल्कुल कहना नहीं चाहता कि सालभर के बाद देखते हैं इससे कितने मरे). मगर जो दूसरी बिमारियाँ हैं उसमें और इसमें फ़र्क है। यह संक्रमण वाली बिमारी है और बिना छुए भी फ़ैल रही है।<br /><br />रही बात मीडिया की, उसकी क्या कहें, तो वो तो है ही बड़बोला।विजय वडनेरेhttps://www.blogger.com/profile/05856402710862023023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-44904522314539660592009-08-11T18:28:58.887+05:302009-08-11T18:28:58.887+05:30बड़ा लम्बा गणित है । हाल ही में एक अखबार में छपा था...बड़ा लम्बा गणित है । हाल ही में एक अखबार में छपा था कि भारत में सालाना बीस हज़ार करोड़ रुपए महज़ हाथ धोने में ही खर्च हो रहे हैं । साबुन कंपनियों का ये आँकड़ा तब है जब सवा सौकरोड़ की आबादी वाले देश में केवल सात फ़ीसदी लोग ही साबुन का इस्तेमाल कर रहे हैं । टीवी पर एक विज्ञापन आता है ,जो सलाह देता है कि बीमारियों से बचना है , तो दिन में कम से कम पाँच मर्तबा साबुन से हाथ धोएँ । गणित समझने में ज़रा भी वक्त नहीं लगेगा । वैसे सुरेशजी को जानकर हैरानी होगी की ज़्यादा सफ़ाई पसंदगी भी बवाले जान होती है । जापानियों और अंग्रेज़ों को नज़ला- ज़ुकाम जैसे छोटे मोटे इन्फ़ेक्शन भी झट दबोच लेते हैं । भारतीयों की तगड़ी प्रतिरोधक क्षमता का राज़ इसी स्लम कल्चर और नगर निगमों के निकम्मेपन में छिपा है ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-60893927486939564802009-08-11T18:28:01.949+05:302009-08-11T18:28:01.949+05:30सहमत।सहमत।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-18484845186281345242009-08-11T18:09:29.410+05:302009-08-11T18:09:29.410+05:30समस्या तो है भले ही इतनी गम्भीर न हो, लेकिन जगह-जग...समस्या तो है भले ही इतनी गम्भीर न हो, लेकिन जगह-जगह सड़कों पर थूकते-मूतते-हगते गंदे भारतीयों में इसके फ़ैलने का खतरा भी बहुत बड़ा है। क्योंकि सच्चाई यही है कि भारत के लोग भले ही अरबों रुपये साबुन-शैम्पू उद्योग को दे रहे हैं लेकिन रहते तो गंदे ही है, विश्वास न हो तो सार्वजनिक अस्पताल, प्लेटफ़ॉर्म, शौचालय-मूत्रालय कहीं भी झाँक कर देख लीजिये…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-995146313743172486.post-45517994692205886742009-08-11T18:02:18.730+05:302009-08-11T18:02:18.730+05:30swine flue dk hwaa is samya failta hi ja raha jo P...swine flue dk hwaa is samya failta hi ja raha jo Pune se shuru hua hai....Pune se chal kar ab ye saare bhaarat mai fail chuka hai....panic to isi traha se failta hai ......<br />isme Media ka role bhi dekhne layak haiManvinderhttps://www.blogger.com/profile/11286649687914732408noreply@blogger.com