Tuesday, March 3, 2020

क्या चिल्लम चिल्ली के बिना कोई चर्चा नहीं हो सकती न्यूज़ चैनलों पर

भारत के अधिकांश न्यूज़ चैनलों पर बुरा हाल है। चिल्लम चिल्ली ही ज्यादा है। गंभीर विचार विमर्श पूरी तरह गायब हो चुका है। किसी भी चैनल पर आप देखेंगे तो पाएंगे कि उत्तेजना पैदा करने वाले मुद्दों पर ही स्तरहीन बहस होती मिलेगी जिसका कोई कन्क्लूजन होता हुआ दिखाई नहीं देता। राजनीतिक दलों ने भी अब अपने ढंग के प्रवक्ताओं को भेजना बंद कर दिया है। इसकी एज बड़ी वजह यह भी है कि अधिकांश चैनलों पर राजनीतिक दलों और उनकी विचारधारा का ठप्पा लग गया है। 

प्रधानमंत्री मोदी से अरविंद केजरीवाल की मुलाक़ात से कांग्रेस क्यों चिढ़ी


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ओमकार चौधरी

तीसरी बार दिल्ली की कमान सँभालने वाले अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को संसद भवन स्थित चैंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की। इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से उनकी कोरोना वायरस से निपटने की तैयारियों के अलावा दिल्ली के विकास पर भी बातचीत हुई। उनके अनुसार दिल्ली में हाल में हुई हिंसा पर उन्होंने प्रधानमंत्री से माँग की कि जो भी इसमें संलिप्त या दोषी पाया जाए, उसे सख़्त से सख़्त सज़ा दी जाए। वह चाहे कोई भी हो। अरविंद केजरीवाल द्वारा संसद परिसर में की गई इस मीडिया ब्रीफ़िंग से कांग्रेस को बड़ी परेशानी हो रही है। उसके प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को अब केजरीवाल के भीतर आरएसएस का स्वयं सेवक नज़र आने लगा है। कांग्रेस को इसकी बड़ी तकलीफ़ है कि केजरीवाल ने गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफ़ा नहीं माँगा, जैसा कि कांग्रेस आजकल कर रही है। संसद के बाहर भी और भीतर भी। 

कुछ दिन पहले अरविंद केजरीवाल ने अमित शाह से भी मुलाक़ात की थी। मोदी और शाह से उनकी यह शिष्टाचार मुलाक़ात थी। आमतौर पर कोई भी मुख्यमंत्री शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से बेट करता है। हाल में उद्धव ठाकरे भी इन दोनों से मिलकर लौटे हैं। वह तो लालकृष्ण आडवाणी और सोनिया गांधी से भी मिले थे। केजरीवाल ने इन दोनों से तो मुलाक़ात की है परंतु सोनिया गांधी को धन्यवाद देने वो नहीं गए। हो सकता है कि कांग्रेसी इसकी प्रतीक्षा कर रहे हों क्योंकि इस बार केजरीवाल की सत्ता में वापसी थोड़ी मुश्किल हो सकती थी यदि कांग्रेस अपने पैर पीछे नहीं खींचती। कांग्रेस चुनाव लड़ी ही नहीं ताकि भाजपा विरोधी वोट बंटने नहीं पाए। और ऐसा ही हुआ। पिछली बार के मुक़ाबले भाजपा को ज़्यादा वोट मिले परंतु वह सत्ता से दूर ही रही।

बहरहाल,कांग्रेस केजरीवाल से नाराज दिखाई दे रही है क्योंकि केजरीवाल इस बार प्रधानमंत्री मोदी से टकराते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं।वह समन्वय और सदबाव के रास्ते पर बढ़ रहे हैं। यह विपक्षी दलों और कांग्रेस को पच नहीं रहा है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मंगलवार को आलोचना की और कहा कि उनकी बातों से ऐसा लगता है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक दंगे को लेकर केंद्र और प्रधानमंत्री को क्लीनचिट दे रहे हैं। काग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बाद केजरीवाल ने जिस तरह मीडिया से बातचीत की, उससे ऐसा जान पड़ता है कि ‘‘आप, भाजपा की बी टीम नहीं बल्कि वह भगवा टीम में है।’’ मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और दंगा प्रभावित उत्तर पूर्वी दिल्ली की स्थिति पर चर्चा की। केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने मोदी से अनुरोध किया कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाए, भले ही वे किस भी दल से संबद्ध हों। 

राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद यह केजरीवाल की मोदी से पहली मुलाकात है। सिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ दिल्ली के मुख्यमंत्री के हावभाव एवं बातों से ऐसा लगता है कि वह सत्तारूढ़ दल, केंद्र और मोदी को आधिकारिक रूप से क्लीनचिट देने गये थे।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘ क्या मुख्यमंत्री ने तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की? क्या उन्होंने कहा कि गृहमंत्री इस्तीफा दें या उन पर अंकुश लगाया जाए?, क्या उन्होंने कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की? मुझे ऐसा लगा कि उनकी प्रधानमंत्री से भेंट के बाद वह भाजपा के समर्थक या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में बोल रहे हैं।’’ राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘ यह कमजोरी क्या है? यह बेबसी क्या है? यह मजबूरी क्या है? यह भेद क्या है, यह रहस्य क्या है, इस नयी दोस्ती, समर्थन का रहस्य क्या है? दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एकदम स्पष्ट मामले में घुटने क्यों टेक दिये?’’ दोबारा मुख्यमंत्री निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री से भेंट करने कोशिष्टाचार भेंटकरार देते हुए केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने दिल्ली के विकास के लिए प्रधानमंत्री की मदद मांगी।

फाइल फोटो - मोदी के साथ केजरीवाल